Tuesday, June 7, 2011

Unlearn | Uneducate | Brainwash | Mindlessness Again

This is going to be narrative of a conversation I had with a lady at one of the awesome places of Himachal [Barot] , it might not have any 'Moral Of The Story' type ending but for me, it surely was a wonderful story to think of and to write about.

आंटी ये जगह तो एकदम मस्त है, आपकी तो किस्मत  है जो यहाँ रहते हो, साथ गए दोस्त  ने कहा |
आंटी ने हँसते हुए कहा, बच्चे तुम थक गए हो, अपना कमरा देख लो | 
मैंने न चाहते हुए भी सोच ही लिया की आंटी इतनी भी किस्मत वाली नहीं मानती अपने आप को, पर मेरा क्या था, मुझे मतलब था मछली से जो मेरे लिए अपनी जान दे चुकी थी और अब मैं उसके  लिए तड़प रहा था |  

बरोट प्रसिद्ध है अपनी ट्राउट मछलियों के लिए जो वहीँ पैदा होती हैं और आधे  से ज्यादा वहीँ अपनी जान दे देती हैं, ताकि इंसान का पेट भरा रहे, अब वो जान देती हैं या आदमी  ले लेता है ये मुझे नहीं पता | अगर 'सिर्फ भगवान् ही ' जान ले/दे सकता होता, तो आदमी ने मछली को नहीं मारा, और अगर आदमी मछली को [या किसी और जीव को] मार सकता है, तो इंसान को कोई नहीं मार सकता सिवाय भगवान् के, ऐसा सोचना  निहायत ही बेवकूफी होगी | किसी न किसी के लिए आदमी भी मछली-समान ही होगा |

अपना सामन रखने के बाद हम ४-६ लोग निकल पड़े बरोट में घूमने के लिए, वहीँ पास में एक शादी हो रही थी, औरतें और मर्द एक साथ नाच रहे थे, जैसा की हर एक शादी में होता है, पर उनके नाचने में, और जो नाच मैंने आज तक देखे हैं, उनमें थोडा फरक था, फरक क्या था ये मुझे मालूम नहीं पड़ा, पर कुछ फरक तो था उनकी ख़ुशी में | छोटी सी शादी थी, और काफी लोगों ने शराब पि रखी थी, 'औरतों ने भी और मर्दों ने भी ' | 

अपनी इंजीनियरिंग ख़त्म करने के बाद मैंने एक महीना रामपुर (जिला शिमला) के एक छोटे से गाँव में एक महीना काम किया था, किसी Hydro -प्रोजेक्ट में, पहली बार मैंने औरत और मर्द दोनों को एक साथ बैठ के शराब पीते देखा, शराब देसी थी, शायद चुल्ली की शराब थी, मुझे काफी अजीब लगा, एक तो वो खुले में बैठ कर पि रहे थे और दूसरा मैंने पहली बार औरतों को हुडदंग मचाते देखा, शराब पीने के बाद | शाम को पता चला की यहाँ सब लोग मिल के ख़ुशी मानते हैं और जब बात शराब की हो, तो पहाड़ी लोग औरत-मर्द भूलकर पीते हैं, बात अच्छी लगी, नहीं तो जिन जगहों पे मै रहा हूँ ,  वहां तो शराब पी कर 'आदमी' हर उस औरत की बुराई करता है जो अपना काम अपने तरीके से करना चाहती हो |

खैर, शादी से वापिस आ कर , मछली भोग किया गया और फिर शुरू हुई असली कहानी, आंटी की 'किस्मत वाली हंसी' अभी भी मेरे दिमाग में थी और मुझे मालूम था की इस बार की कहानी the story, आंटी के नाम होगी|

आप कब से रह रहे हो यहाँ?
1978 में मेरी शादी हुई, तब से यहीं हूँ |
आपने तो इस जगह को बदलते देखा होगा, एक एक घर बनते हुए |
हाँ बनते भी देखे और बिगड़ते भी देखे, ये जगह बिलकुल जंगल थी जब मैं यहाँ आई थी, एकदम सुनसान, ४ घर इस तरफ और ४ नदी के उस तरफ, मैं कांगड़ा से आई थी यहाँ पर और यहाँ आ कर पहले ५ साल मैं सिर्फ रोती रही की कहाँ शादी कर ली | आज जो है वो तो बस एक सपना ही है, नहीं तो हमारे लिए तो जंगल, बर्फ और जान बचाना, यही जिंदगी का सच था कई सालों तक | आज लोग आते हैं, खुश होते हैं, जैसे आप हो रहे हो, कहते हैं मैं किस्मत वाली हूँ की ऐसी जगह रहती हूँ, पर सबकी अपनी अपनी है, किस्मत भी और जिंदगी भी |

मैं सोच रहा था की आंटी सिर्फ दुकान ही नहीं चलती, दिमाग भी चलती है |

तभी सामने से दो औरतें नाचती हुई आ रही थीं, पहाड़ी औरतें सुन्दर होती हैं, औरतें तो सब ही सुन्दर होती हैं वैसे पर पहाड़ी रूप रंग कुछ ज्यादा ही चमकता है , रात के आठ बज रहे थे और वो दोनों नशे में धुत थी शायद, और खुश भी थी |
मैंने आंटी से पूछा, ये क्या हुआ है इनको?
हुआ क्या है, सारा दिन काम करने के बाद कोई भी थक जाएगा, ये भी थक गयी और दिमाग शांत करने के लिए या तो योग कर लो या शराब पी लो, इन्होने शराब उठा ली, आसान रहती है शराब, नींद भी अच्छी आती है |

आपको कैसे पता?आप भी पीती हो?
हाँ तो, कौन नहीं पीता? अब जो काम करेगा सारा दिन , थक जाएगा उसको तो शाम को कुछ न कुछ चाहिए, हम पहाड़ी लोग शराब से काम चला लेते हैं|
फिर आंटी ने सामने देखा, नदी के किनारे पर मेरे साथ ए ४ लोग दारु की बोतल खोल के मजा ले रहे थे, आंटी ने मेरी तरफ देखा, हंसी और पुछा,' तो, तुम नहीं पीते?'
मैं भी हंसा और कह दिया, " नहीं आज तक तो पी नहीं, आगे का पता नहीं"
मैं सिर्फ बीयर पीती हूँ, ठण्ड पड़ जाती है दिमाग में, मजा भी आता है | 

And her smile explained the joy of drinking beer, I have heard so many people talking about the joy of drinking beer but her expressions made it pretty clear and simple, beer is awesome was the verdict.

ये दोनों घर कैसे जाएंगी? इतनी शराब पी रखी है इन्होने, और रात भी हो गयी है, मेरे दिमाग में अभी भी औरत-मर्द और rape का कांसेप्ट चला हुआ था और सर्व ज्ञाता आंटी ने एक बार फिर मेरे मन की बात भांप ली |

यहाँ ऐसा नहीं होता, लोग अपने काम से काम रखते हैं, जैसे जैसे नीचे की हवा यहाँ आ रही है, थोडा हिसाब किताब डगमगा रहा है नहीं तो पहाड़ी औरत और पहाड़ी मर्द, सब बराबर हैं, शराब पी के भी और शराब पिए बिना भी | मैं सिर्फ दुकान ही नहीं चलती गाँव भी चलाती हूँ, यहाँ औरतें मर्दों से ज्यादा काम करती हैं, ज्यादा शराब भी पीती हैं और घर भी चलाती हैं |

मेरा दिमाग अभी भी उन महिलाओं पर टिका हुआ था की ये घर कैसे जाएगी? पर आंटी ने मुझे समझा दिया की यहाँ ये नयी चीज़ नहीं है, चीज़ नयी हो तो बवाल उठता है, यहाँ ऐसा कई कई सालों से होता आ रहा है और किसीको कोई दिक्कत नहीं होती | नीचे लोग ज्यादा पढ़ लिख गए हैं, लेकिन दिमाग उल्टा हो गया है, शराब को औरत-मर्द में divide कर दिया है , आदमी पिए तो ठीक, औरत पिए तो नीच हरकत |

आपके पति को मालूम है की आप पीती हो, और सवाल पूछने के बाद मुझे कुछ अजीब लगा |
आंटी एक बार फिर हंसी, इसमें पता होने की क्या बात है? हम दोनों साथ पीते हैं | और मेरी उनसे  शादी हुई है कोई 'वेल्डिंग' तो हुई नहीं है की मैं ख़तम हो गयी | शादी के लिए जरुरत होती है दो लोगों की, पर दुनिया ये समझ गयी की दो लोग सिर्फ 'शादी तक' ही  चाहिए, दोनों लोग 'शादी के बाद भी' रहने चाहिए, एकदम अपनी खुद की सोच वाले, तभी मजा है |

And fuck yes, marriage is not welding, individuals must remain. Individuals are required before marriage, why should they die post marriage. Individuals must remain, always. आंटी was turning out to be a 'ज्ञान का भंडार' |

अब एक लड़का था, जब तक यहाँ पढता था तब तक काम करता था, सबसे बात करता था, बाहर से पढ़ के आया कहीं से, उसने घर का काम करना बंद कर दिया | रसोईघर में घुसना बंद कर दिया, कहता रसोई का काम तो सिर्फ औरतों के लिए है | अरे कौन सा ऐसा स्कूल है जहाँ ऐसा सिखा देते हैं, खाना सब खाएं, काम करे औरत? खाना अगर खाना है तो बनाना भी पड़ेगा , ये तो common sense है, इसमें लड़का लड़की का क्या है? अगर ऐसा सिखा रहे हैं बड़े बड़े स्कूल में, तो मैं कहती हूँ हमें पढने की जरुरत नहीं है, भूल जाओ सब कुछ जो जो पढ़ा है, ऐसी पढाई educate नहीं कर रही है, uneducation की जरुरत है फिर तो | 

And this is what I was reading before coming to Barot, "Unlearning is the beginning of wisdom. All your priests and popes go on telling you, "Learning brings wisdom." But a man like Bodhidharma or Socrates or Gautam Buddha will not agree with these people, they will agree with Kahlil Gibran: the function of the master is to help you unlearn everything so that you become again an innocent child." Osho said this, Aunty made it clear. 

मैं चलती हूँ अब, शादी में जाना है, डांस करना है और बीयर पीनी है , बीयर पीने का बड़ा मन है मेरा आज | और आंटी ने दूकान अपनी लड़की को हैण्ड-ओवर की और थोड़ी देर में गाड़ी में बैठ कर, गाड़ी 'खुद चला कर' , मुझे बाय कहती हुई चली गयी | 

Whatever she said made perfect sense to me. I am not sure about uneducation going by what we see happening in our 9% P.A Growth rate society, we can consider this option of unlearning too, probably it can help some of us. 

And this is not about alcohol only, integrate it and we will see that even today we live in a biased and weird society. Read this if you do not agree.

7 comments:

lucky>>> said...

beyond perfection...

devskool said...

और मेरी उसने शादी हुई है कोई 'वेल्डिंग' तो हुई नहीं है की मैं ख़तम हो गयी - सारी कहानी एक लाइन में कह दी - गजब कर दिया

Atal said...

नहीं आज तक तो पी नहीं, आगे का पता नहीं :D

charu said...

i just so liked the line...about marriage is not welding. i saw a client today with marital issues and i so wanted to tell her this..awesome!!

Dadda ki Khari Khari said...

मज़ा आया पढ़ के ......वैसे ये बारोट है कहाँ ? मैंने राजस्थान में भी देखा है पति पत्नी साथ बैठ के ड्रिंक्स लेते हैं .....मेरे एक दोस्त थे ....उनकी मैडम रोज़ पी के टल्ली हो जाती थी .....वो दोनों शाम को बैठते तो वो रोज़ उनको याद दिलाते ...देखो ज्यादा नहीं ....उस दिन तुम फिर आउट हो गयी थी ....मेरे लिए ये नई बात थी उन दिनों .....आपका लेख पढ़ के मज़ा आया .....हिंदी में नियमित लिखिए ...
अजित

Anonymous said...

Individuality must remain after and before marriage too...post kids too.bottom line.superb!

SANDEEP PANWAR said...

TARUN JI
एक ऐसी सच्चाई जो बाहर वालों को मालूम नहीं हो पाती।