Saturday, August 30, 2008

कुछ बातें


कुछ ऐसा जाम पिला दे साकी,
मेरा सब गम मिट जाए
न रहे कसक कोई दिल में,
बस हर अँधियारा मिट जाए


कुछ मंजिल मेरी मिल जाए,
कुछ राहत मुझको मिल जाए
कुछ ढल जाए ये रात का साया,
कुछ सुबह का सूरज दिख जाए


कुछ दिल को मेरे मिले सुकून,
पथराई आँखें नम जाएँ
इस दौड़ भाग के मेले में ,
बस वक्त का पहिया थम जाए


कुछ ख़ुद से कर लूँ बातें मैं,
चुन लूँ अपने ख्वाब सभी
कुछ मेरे मिटते ख्वाबों को,
हलकी सी जुम्बिश मिल जाए

कुछ ऐसा जाम पिला दे साकी,
मेरा सब गम मिट जाए
न रहे कसक कोई दिल में,
बस हर अँधियारा मिट जाए


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